В Центре языка хинди и культуры Индии состоялось мероприятие «Суфизм и Насими»
24 अप्रील को हिनी भाषा एवं भारतीय संस्कृति केंद्र में “सुफीज़्म और नासीमी ” के विषय पर खुली चर्चा मनाई गई है । कार्यक्रम के आरंभ में वुसाल गुलियेव ने अपने व्याख्यान में विस्तृत सुफीज़्म नासीमी के कृतित्व के बारे में सुनाया । उन्होंने आज़ेरबैजान साहित्य में नासीमी - कृतित्व की भूमिका के बारे में जानकारी दी । नासीमी ने शास्त्रीय पूर्वी और प्राचीन ग्रीक दर्शन को गहराई से आत्मसात किया, इसके अलावा इस्लामी और ईसाई धर्म के मूलतत्व से परिचित थे ।
इस के बाद भारतविद्याविद विभाग का छात्र तोफिग वालियेव ने सुफीज़्म और खुरुफीज़्म के दर्शन के बारे में व्याख्यान दिया । तोफिग वालियेव ने विस्तृत सुनाया ;- सुफीज़म किन क्षेत्रों में व्यापक था , प्राचीन भारत, यूनान,मिस्र एवं जूदाईस्म , ईसाई धर्म में खुरुफीज़्म के निकट विश्वास थे । यदि नासीमी न होते तो खुरुफीज़्म व्यापक नहीं होता और आज तक नहीं आता ।
अंत में व्याख्यानदातों ने प्रशों के उत्तर दिये ।